Pranayama - प्राणायाम

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45 minutes of Pranayama : अनुक्रम

S.No प्राणायाम समय
1 भस्त्रिका (Bhastrika) 2 मिनट
2 कपालभाति (Kapal Bhati) 10 से 25 मिनट
3 बाह्य (Baahya) 2 मिनट
4 अनुलोम-विलोम (Anulom Vilom) 10 से 15 मिनट
5 भ्रामरी (Bhraamri) 2 मिनट
6 उद्गीथ (Udgeeth) 2 मिनट
7 सांसों पर ओम का ध्यान (Aum Dhyaan) 2 मिनट

निर्देश

  • सभी प्राणायाम खाली पेट करें या भोजन के 5 घंटे बाद।
  • Sequence:
    भस्त्रिका → कपालभाति → बाह्य → अनुलोम-विलोम → भ्रामरी → उद्गीथ → सांसों पर ओम का ध्यान

पंचकोश (Five Koshas) और उनके विवरण

S.No कोश English विवरण
1 अन्नमय कोश (Annamaya) Physical Body भौतिक शरीर, भोजन पर आधारित।
2 प्राणमय कोश (Praanamaya) Etheric Body प्राण (जीवन ऊर्जा) का स्तर।
3 मनोमय कोश (Manomaya) Astral Body मन और भावनाओं का स्तर।
4 विज्ञानमय कोश (Vigyaanmaya) Mental or Intellectual Body बुद्धि और आत्मज्ञान का स्तर।
5 आनंदमय कोश (Aanandmaya) Causal Body परमानंद और आध्यात्मिक आनंद का स्तर।

योग मुद्राएँ और उनके लाभ

क्रमांक मुद्रा का नाम विधि लाभ
1 ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra) अंगूठे और तर्जनी को मिलाएं, बाकी उंगलियां सीधी रखें। एकाग्रता और स्मरणशक्ति बढ़ाता है, मानसिक शांति देता है।
2 प्राण मुद्रा (Prana Mudra) अंगूठे को अनामिका और कनिष्ठा से मिलाएं। ऊर्जा बढ़ाता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करता है।
3 अपान मुद्रा (Apana Mudra) अंगूठे को मध्यमा और अनामिका से मिलाएं। पाचन और विषहरण में मदद करता है, मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करता है।
4 वायु मुद्रा (Vayu Mudra) तर्जनी को मोड़कर अंगूठे से दबाएं, बाकी उंगलियां सीधी रखें। गैस, दर्द और सूजन को कम करता है।
5 सूर्य मुद्रा (Surya Mudra) अनामिका को मोड़कर अंगूठे से दबाएं। वजन घटाने और चयापचय बढ़ाने में सहायक।
6 शून्य मुद्रा (Shoonya Mudra) अंगूठे से मध्यमा को दबाएं। कान के रोगों और बहरापन में सुधार करता है।
7 वरुण मुद्रा (Varun Mudra) अंगूठे को कनिष्ठा से मिलाएं। त्वचा और जल संतुलन को बनाए रखता है।
8 भ्रामरी मुद्रा (Bhraamri Mudra) कान बंद कर गुनगुनाहट के साथ सांस लें। तनाव कम करता है, ध्यान में सहायक।
9 लिंग मुद्रा (Linga Mudra) उंगलियों को आपस में जोड़ें और अंगूठा ऊपर रखें। सर्दी-ज़ुकाम दूर करता है, शरीर की गर्मी बढ़ाता है।
10 शंख मुद्रा (Shankh Mudra) दाएं हाथ से बाएं अंगूठे को पकड़ें, तर्जनी को दाएं अंगूठे से मिलाएं। गले के रोग और आवाज सुधारने में मदद करता है।
11 धरना मुद्रा (Dhyana Mudra) दोनों हाथ गोद में रखें, दायां हाथ बाएं के ऊपर और अंगूठे मिलाएं। ध्यान में सहायक, मानसिक शांति प्रदान करता है।
12 शक्ति मुद्रा (Shakti Mudra) कनिष्ठा और अनामिका को अंगूठे से मिलाएं, बाकी उंगलियां मोड़ें। अनिद्रा दूर करता है, तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
13 ह्रदय मुद्रा (Hridaya Mudra) तर्जनी को अंगूठे के आधार पर रखें, मध्यमा और अनामिका अंगूठे से मिलाएं। हृदय को स्वस्थ रखता है, भावनात्मक तनाव कम करता है।

निर्देश

  • हर मुद्रा को 10-15 मिनट तक करें।
  • आरामदायक मुद्रा में बैठकर गहरी सांस लें।
  • सुबह खाली पेट या भोजन के 5 घंटे बाद मुद्राएँ करें।